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बंदरगाहों पर फंसे 12 लाख टन गेहूं निर्यात को मंजूरी दे सकती है सरकार

बंदरगाहों पर फंसे 12 लाख टन गेहूं निर्यात को मंजूरी दे सकती है सरकार

नई दिल्ली। देश में गेहूं निर्यात पर पाबंदी लगने के बाद विभिन्न बंदरगाहों पर गेहूं फंस हुआ है। बंदरगाहों पर फंसे लाखों टन गेहूं को सरकार निर्यात की मंजूरी दे सकती है। कई बंदरगाहों पर गेहूं का भंडार लगा हुआ है। इस जिसके खराब होने की पूरी संभावना है। जिसे देखते हुए केन्द्र सरकार 12 लाख टन गेहूं निर्यात की मंजूरी देने जा रही है। सरकार के इस निर्णय से तमाम बड़े व्यापारियों को राहत मिलने के आसार हैं

- 14 मई को लगा थी गेहूं निर्यात पर पाबंदी

- वैश्विक स्तर पर गेहूं के बढ़ते भाव के चलते केन्द्र सरकार ने बीते 14 मई को सरकार ने गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगाई थी। तभी से देश के विभिन्न बंदरगाहों पर कई लाख टन गेहूं पड़ा हुआ है। बारिश और मानसून के खराब मौसम के समय यह गेहूं खराब हो सकता है। जिसके चलते सरकार यह निर्णय लेने जा रही है।

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चीनी निर्यात ने तोड़ा रिकॉर्ड -चीनी निर्यात ने इस बार तमाम रिकॉर्ड तोड़े हैं। मई महीने के अंत तक देश 86 लाख टन चीनी का निर्यात चुका है। पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में 70 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया था। जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में 3.11 करोड़ रूपए का निर्यात हुआ था। ----- लोकेन्द्र नरवार
अब जल्द ही चीनी के निर्यात में प्रतिबन्ध लगा सकती है सरकार

अब जल्द ही चीनी के निर्यात में प्रतिबन्ध लगा सकती है सरकार

भारत में खाद्य चीजों की कमी होने का ख़तरा मंडरा रहा है, इसलिए सरकार ने पहले ही गेहूं और टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब केंद्र सरकार एक और कमोडिटी पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है, वो है चीनी।

सरकार चीनी के निर्यात (cheeni ke niryat, sugar export) पर जल्द ही फैसला ले सकती है क्योंकि इस साल खराब मौसम और कम बरसात की वजह से प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में गन्ने का उत्पादन कम हुआ है, 

साथ ही कवक रोग के कारण गन्ने की बहुत सारी फसल खराब हो गई है। उत्तर प्रदेश में इस साल सामान्य से 43 फीसदी कम बरसात हुई है।

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इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल सरकार चीनी मिलों को 50 लाख टन चीनी निर्यात करने की अनुमति ही प्रदान करेगी, इसके बाद देश में होने वाले उत्पादन और खपत का आंकलन करने के बाद आगे की समीक्षा की जाएगी। 

इसके पहले केंद्र सरकार 24 मई को ही चीनी निर्यात को प्रतिबन्धी श्रेणी में स्थानान्तरित कर चुकी है। सरकार इस साल चीनी उत्पादन को लेकर बेहद चिंतित है। 

सरकार के अधिकारी इस बात पर विचार कर रहे हैं कि घरेलू बाजार में चीनी की आपूर्ति और मांग में किस प्रकार से सामंजस्य बैठाया जाए। फिलहाल कुछ राज्यों में इस साल अच्छी बरसात हुई है। 

इन प्रदेशों में गन्ने की खेती के लिए पानी की उपलब्धता लगातार बनी हुई है, जिससे महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के गन्ने के उत्पादन में वृद्धि हुई है, इससे अन्य राज्यों में कम उत्पादन की भरपाई होने की संभावना बनी हुई है। 

साल 2021-22 में चीनी का उत्पादन 360 लाख टन के रिकॉर्ड को छू चुका है, साथ ही इस दौरान चीनी का निर्यात 112 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर रहा।

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सूत्र बताते हैं कि चीनी के उत्पादन के मामलों में सरकार जल्द ही निर्णय ले सकती है, जल्द ही सरकार 50 लाख टन की प्रारंभिक मात्रा की अनुमति दे सकती है। 

भारतीय चीनी मिलें जल्द से जल्द चीनी का निर्यात करके ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के मूड में हैं, क्योंकि अभी इंटरनेशनल मार्केट में चीनी की उपलब्धता ज्यादा नहीं है। 

चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक देश ब्राज़ील अप्रैल से लेकर नवम्बर तक इंटरनेशनल मार्केट में चीनी सप्प्लाई करता है। जिससे इंटरनेशनल मार्केट में चीनी की उपलब्धता ज्यादा हो जाती है और चीनी का वो भाव नहीं मिलता जिस भाव का मिलें अपेक्षा करती हैं। 

इसके साथ ही इस मौसम में चीनी मिलें निर्यात करने के लिए इसलिए इच्छुक हैं क्योंकि इस सीजन में चीनी की कीमत ज्यादा मिलती है। इस समय इंटरनेशनल मार्केट में चीनी की वर्तमान बोली लगभग 538 डॉलर प्रति टन लगाई जा रही है।

यह सौदा चीनी को घरेलू बाजार में बेचने से ज्यादा लाभ देने वाला है क्योंकि चीनी को घरेलू बाजार में बेचने पर मिल मालिकों को 35,500 रुपये प्रति टन की ही कीमत मिल पाती है।

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जबकि महाराष्ट्र में यह कीमत घटकर 34000 रूपये प्रति टन तक आ जाती है, जिसमें मिल मालिकों को उतना फायदा नहीं हो पाता जितना कि इंटरनेशनल मार्केट में निर्यात करने से होता है। 

इसलिए मिल मालिक ज्यादा से ज्यादा चीनी का भारत से निर्यात करना चाहते हैं। लेकिन सरकार घरेलू जरूरतों को देखते हुए जल्द ही इस निर्यात पर प्रतिबन्ध लगाने का फैसला ले सकती है।

भारत द्वारा चीनी निर्यात पर प्रतिबन्ध से कई सारे शक्तिशाली देशों में चीनी उत्पाद हुए महंगे

भारत द्वारा चीनी निर्यात पर प्रतिबन्ध से कई सारे शक्तिशाली देशों में चीनी उत्पाद हुए महंगे

पूरी दुनिया में भारत चीनी का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। आमतौर पर देखा जाता है कि यदि भारत में चीनी की पैदावार कम होती है, तो इसका प्रभाव दुनिया पर भी पड़ता दिखता है। अमेरिका के चीनी बाजार मेें इस बार इस बैन का अच्छा खासा प्रभाव देखने को मिल रहा है। 

भारत विभिन्न खाद्य पदार्थों को निर्यात कर विभिन्न देशों का भरण-पोषण करने की भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही, चावल, गेहूं, दाल सहित बहुत सारे खाद्य उत्पादों की आपूर्ति भारत से विदेशों में की जाती है। 

आटे की भाव अधीक महंगा होते देख गेहूं निर्यात प्रतिबंधित किया गया था। वहीं, बहुत सारे देशों में गेहूं की समस्या सामने देखने को मिली थी। 

भारत द्वारा चीनी निर्यात पर भी प्रतिबंधित कर रखा है। इसका प्रभाव भी अब देखने को मिल रहा है। वैश्विक महाशक्ति के रूप में माने जाने वाले देश में भी भारत की वजह से चीनी महंगी हो चुकी है।

अमेरिका में चीनी के दामों में रिकॉर्ड वृद्धि

भारत द्वारा चीनी के निर्यात पर रोक लगाने का प्रभाव अमेरिका पर देखने को मिला है। अमेरिका में चीनी के भावों में रिकॉर्ड की वृद्धि दाखिल की गई है। 

न्यूयार्क में चीनी 6 वर्ष के रिकॉर्ड स्तर पर महंगी हो चुकी है। चीनी के बढ़ते भावों से स्थानीय लोगों का भी काफी बजट डगमगा चुका है। ध्यान देने योग्य बात यह है, कि चीनी पर महंगाई का प्रभाव केवल न्यूयार्क ही नहीं बाकी देशों में भी देखने को मिल रहा है। 

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चीनी महँगाई में हुई काफी बढ़ोत्तरी

चीनी के बढ़ते दामों से न्यूयॉर्क में कच्ची चीनी की कीमत 2.2 प्रतिशत बढ़कर 23.46 सेंट प्रति पाउंड पर पहुंच गए हैं। यह अक्टूबर 2016 के उपरांत से सर्वाधिक दर्ज किया जा चुका है। 

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) की तरफ से भी इसको लेकर बयान जारी किया गया है। इस्मा ने भी चीनी पैदावार में गिरावट होने की बात कही है।

भारत में चीनी उत्पादन में आई गिरावट

जानकारी के लिए बतादें, कि इस्मा की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, कि सितंबर में समाप्त हुए विपणन वर्ष 2022-23 की प्रथम छमाही में देश में चीनी की पैदावार घटी है। 

भारत में चीनी उत्पादन 299.6 लाख टन दर्ज किया गया है। वहीं, विपणन वर्ष 2021-22 की प्रथम छमाही में भारत में 309.9 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।

केंद्र सरकार ने भी चिंता व्यक्त की है

केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा द्वारा भी गिरावट हुए चीनी पैदावार की आशंका पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने बोला था, कि सितंबर में समाप्त होने वाले साल में भारत चीनी निर्यात करने की मंजूरी दे सकता है। 

हालाँकि, इस बार पैदावार में गिरावट होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। भारत घरेलू खपत को लेकर काफी सजग दिखाई दे रही है।

इस त्योहारी सीजन में चीनी निर्यात नहीं करेगा भारत, चीनी मिलों पर सरकार की पेनी नजर

इस त्योहारी सीजन में चीनी निर्यात नहीं करेगा भारत, चीनी मिलों पर सरकार की पेनी नजर

भारत इस त्योहारी सीजन में दुनिया को चीनी निर्यात नहीं करेगा। सरकार ने इस सीजन में चीनी निर्यात की मंजूरी देने से साफ इनकार कर दिया है। 

घरेलू बाजार में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने चीनी एक्‍सपर्ट पर प्रतिबंध को जारी रखा है। साथ ही, ऑर्गेनिक शुगर को भी इस प्रतिबंध के दायरे में लाया गया है। 

सरकार ने अक्टूबर में समाप्त होने वाले मौजूदा 2023-24 सीजन में चीनी निर्यात की मंजूरी देने की संभावना से सोमवार को इनकार कर दिया। वर्तमान में चीनी के निर्यात पर अनिश्चित समय तक के लिए प्रतिबंध लगा हुआ है। 

हालांकि, भारतीय चीनी मिल संघ (ISMA) ने सरकार से 2023-24 सीजन में 10 लाख टन चीनी के निर्यात की मंजूरी देने का अनुरोध किया है। उसको सीजन के समापन तक पर्याप्त भंडार होने की उम्मीद है।

खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से कहा, फिलहाल, सरकार चीनी निर्यात (Sugar Export) पर विचार नहीं कर रही है। 

हालांकि, उद्योग ने इसका अनुरोध किया है। देश का चीनी उत्पादन चालू 2023-24 सीजन में मार्च तक 3 करोड़ टन को पार कर गया था। 

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इस्मा ने 2023-24 सीजन के लिए शुद्ध चीनी उत्पादन अनुमान को संशोधित कर 3.2 करोड़ टन कर दिया है। सरकार ने चीनी उत्पादन 3.15-3.2 करोड़ टन होने का अनुमान लगाया है। 

बतादें, कि इसी कड़ी में सरकार चीनी मिलों को इस वर्ष एथेनॉल उत्पादन के लिए बी-हैवी श्रेणी के शीरा के अलावा भंडारण का उपयोग करने की मंजूरी देने पर विचार कर रही है।

चीनी मिल की अधूरी जानकारी पर सरकार काफी सख्ती दिखा रही है। सरकार ने मिलों को चीनी डिस्पैच संबंधित पूरी जानकारी मुहैया कराने को कहा है। 

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